परिचय
सुमंगलम् संस्कृति, अध्यात्म, ज्ञान-विज्ञान-संस्कार से प्रेरित सेवाभावी महापुरुषों, संत, ज्ञानी-विज्ञानी, त्यागी, तपश्वी, ऋषि-मुनि, गृहस्थों के जिन्होने संसार मर्म को समझा जिनकी प्रेरणाश्रोत तुलसीवाणी-”परहित सरिस धरम नही भाई, पर पीड़ा सम नही अधिमाही” के भाव प्रकाश में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की सुमंगल सोच लिए सबका साथ-सबका विकास एकात्म मानव वाद का भारतीय दर्शन की दुनिया मे मानवीय दृष्टिकोण से सबके सुख-शान्ति-समृद्धि का प्रयास भारतीय ग्रंथों के आधार पर समाज में सेवा साधना जिसकी व्याख्या बजरंग लाल जी ने भारतीय संस्कृति सोच के आधार पर किया है। जिसकी अभिव्यक्ति का प्रकल्प है सुमंगलम् सेवा साधना संस्थान। वर्ष प्रतिपदा 2004 में देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में सुमंगलम् की स्थापना हुई। जिसका लखनऊ में पंजीकरण 6अप्रैल28/2005 में हुआ। सुमंगलम् सेवा साधना संस्थान एक गैर सरकारी गैर लाभप्रद अखिल भारतीय संस्था है। हम लोकआराधना का उद्दात्तभाव लिए (स्वास्ति पंथामन चरेम) अर्थात् सत्य मार्ग के हम पथिक हो व्यक्ति परिवार समाज में सद्वृतियो के विकास द्वारा लोक सुमंगल का संकल्प है। रचनात्मकता के सहारे शाश्वत जीवन मूल्य प्रकृति संरक्षण, नैतिकता, ज्ञान, समरसता, समाजिकता, मानवीयता की प्रतिस्थापना की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील सामाजिक सांस्कृतिक आध्यात्मिक संस्थान है। सुमुगलम् लोक जीवन में भौतिक सुख, मानसिक शान्ति आध्यात्मिक समृद्धि के लिए शुद्ध अन्तः करण से परस्पर परिवारभाव लिए एक दुसरे के सुख-दुख, विकास में सहभागी हो सद्मार्ग के पथिक बने तथा सेवा,संस्कार, विकास के पथ पर निरन्तर आगे बढे। धरती माता की सभी संतान जगत्, जीव,, जन, प्रकृति की एकात्म भावना का सम्मान कर विश्व कल्याण के मूल संकल्प को पूरा करने में निरन्तर प्रयत्नशील अभियान है। सर्वेसाम सुमंगलम् भवतु के लिए अपने अन्दर सद्गुणों का सम्बर्धन कर एकता लललोक दृष्टि ले व्यक्ति, परिवार,समाज, राष्ट्र, विश्व, प्रकृति तथा व्यष्टि समष्टि में समन्वय रख प्राकृतिक संसाधनों का पोषण-दोहन करते हुए लोक सहयोग द्वारा लोक सेवा में हम सब दो कदम आगे बढने में प्रयासरत है। स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी, विनोवाभावे, पं0 दीन दयाल उपाध्याय जैसे आधुनिक लोकसेवकों के पदचिन्हो पर आगे बढते हुए एक खुशहाल परिवार की स्थापना करे । यही सुमंगलम् का जीवनोदेश्य है। जिसमें सामाजिक, आर्थिक शारीरिक दृष्टि से वंचित अक्षम, उपेक्षित वर्ग के लोगो के सर्वांगीण विकास और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, संस्कृति के लिए विभिन्न प्रकल्पो का संचालन ही सुमंगलम् के मूल मे है।
कार्यक्रम
सर्वेसाम सुमंगलम् भवतु का दृष्टिकोण लिए व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण का भाव लिए, व्यक्ति में सद्प्रवृतियों के सम्वर्धन के साथ शारीरिक, आर्थिक विकास में सहयोग हेतु सुमंगलम् सेवा साधना संस्थान द्वारा त्रिविध गतिविधियाॅ चलाई जाती है। जिसमें रचनात्मक, प्रबोधनात्मक एवं आन्दोलनात्मक गतिविधियों का समावेश है। जिसमें प्रमुख गतिविधिया निम्न है।
1. राष्ट्रभक्ति जागृति अभियान:-
भारतीय जन-गण-मन के हृदय में राष्ट्रभक्ति का भाव जगाने हेतु अमर शहीदों, महापुरुषों, जननायकों के विचार, गाथाओं, बलिदान को जन-जन तक पहुॅचाने के लिए साहित्य प्रकाशन, प्रदर्शनी, प्रतियोगिताये आदि आयोजित होते है। जिनमे प्रमुख रुप से सुमंगलम् परिवार द्वारा 2006-07 में अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की जन्मशती , 2008-09 में राजगुप्त,सुखदेव,भगत सिंह की जन्मशती, 2012-13 में स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती 2014-15 में क्रान्तिकारी लेखक वचनेश त्रिपाठी जी की जन्मशति पूरे देश में मनाई गई।
”शहीद पितृ श्रद्धा नमन”
राष्ट्रभक्ति जागृति अभियान के तहत प्रतिवर्ष पितृपक्ष की अमावश्या को ज्ञात-अज्ञात शहीदों, क्रान्तिवीरों एवं राष्ट्रसेवा में शहीद सैनिको का तर्पण कर श्रद्धांजली दी जाती है। इसके अतिरिक्त 9 अगस्त क्रान्तिदिवस (काकोरी काण्ड दिवस), 23 मार्च शहीद दिवस पर कार्यक्रम आयोजित होते है। आइयें पितृपक्ष की अमावश्या को ज्ञात-अज्ञात शहीदों, क्रान्तिवीरों एवं राष्ट्रसेवा में शहीद सैनिको का तर्पण कर श्रद्धांजली अर्पित करें।
2. सुमंगल जीवन विकास प्रकल्प:-
शाश्वत जीवनमूल्यों की स्थापना हेतु योग साधना शिविर, सत्संग-प्रवचन, व्यक्तित्व विकास के लिए संगोष्ठी, सेमीनार, प्रदर्शनी आदि गतिविधियों के माध्यम से भैतिक जीवन मे आध्यात्मिक प्रकृति संस्कृति के अनुसार जीवनचर्या में सुख-शान्ति-समृद्धि की सार्थक पहल।
3. ग्रामीण सक्षमता विकास कार्यक्रम:-
ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के बीच जिनकी शिक्षा बाधित हो गई हो उनके आर्थिक विकास के लिए शिक्षा, हूनर, कौषल विकास हेतु ट्रेनिंग कैंप, आधुनिक ढंग से पशुपालन, जैविक कृषि, बागवानी कुटीर उद्योगों के प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था।
4. योग-प्राकृतिक चिकित्सा:-
जीवन को स्वस्थ दीर्घायु एवं आरोग्य प्रदान करने हेतु यो प्रशिक्षण चिकित्सा शिविर का आयोजन।
5. पंचमहाभूत अनुष्ठान:-
जन, जल, जमीन, जंगल, जानवर के संरक्षण संवर्धन हेतु सृष्टि के जीते जागते भगवान ”छिति जल पावक गगन समीरा” के रक्षण-दोहन संरक्षण हेतु जन सहभागिता प्रबोधन आदि कार्यक्रम करना।
6. देवालय बने सेवालय:-
गाॅवों शहरो मे उपेक्षित अनुपयोगी देवालयों मठ अराधना स्थलों को सेवा संस्कार के लिए स्थानीय स्तर पर समाज उपयोगी आस्था एवं संस्कार केन्द्र बनाने का अनुपम प्रयास।
7. सुमंगलम् सृजनपीठ:-
लखनऊ में राष्ट्रीय सामाजिक आर्थिक आध्यात्मिक लोकोपयोगी साहित्य का प्रकाशन जिसमें अभीतक दर्जनों पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है इसके अतिरिक्त शोध, प्रबोधन व अध्ययन आदि कार्य।
8. सुमंगलम् प्रभा:-
लोक मंगल की त्रैमासिक शोध पत्रिका एवं साप्ताहिक समाचार पत्र प्रकाशन के माध्यम से संस्कृति ,पर्यावरण, योग ,स्वक्षता, सृजना, चिंतन आदि के अबाधित प्रकाशन।